Monday, 5 February 2024

बीते हुए ख्वाब

आंखों की झुकी तड़प न जाने,
कितने एहसास को जला देती है।

नूर है तेरी आंखों को देखना,
न जाने कैसे बातें कर लेती है ।

बीती है तेरी याद इन आंखों में,
न जाने बरसात करती है रोज।

 ख्वाब से बातें  करना,
न जाने  ख्वाब बने है दुश्मन ।
                          - पायल 

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